रब के सिवा यहाँ कहाँ किसी की चलती है! हाँ बात अलग है कि कमी बहुत खलती है!! आज मुक़म्मल इस जहां में है ही क्या यारो! खुशियां भी तो एक दिन ग़म में बदलती है!! जमीं छोड़ने पर यहाँ लोग तारीफ़ करते हैं! जीते जी तारीफ़ किसके मुँह से निकलती है!! सहर का सुकून भी बहुत ज़बरदस्त होता है! होता है पल खुशनुमा जब शाम गुज़रती है!! वो चेहरे पर शिकन कभी भी आने नहीं देता! पर "नीर" की मशिय्यत तो शब में सिसकती है!! मुक़म्मल: सम्पूर्ण, पूरा सहर: प्रातः काल सवेरा शिकन: सिकुड़न मशिय्यत: इच्छा #yqdidi #yqbaba #lovequotes #love #jindgi #ज़िन्दगी_की_सच्चाई