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जब बचपन की चादर ओढ़े मैं बेसुध होकर सोता था, तब मा

जब बचपन की चादर ओढ़े 
मैं बेसुध होकर सोता था,
तब माँ सहला कर पुचकार कर 
मुझको उठाती थी 
और कहती थी........
कि, उठो राजा बेटे मेरे
देखो पापा आ गए......

तब मैं नंगाकर, आँख मीच कर 
उठता था
पापा को मुस्कराता देख
झट से उनके गोद में जाता था,
और जोर जोर से चिल्ल्लाता था
पापा आ गए........
पापा आ गए........ पापा आ गए! 

जब बचपन की चादर ओढ़े 
मैं बेसुध होकर सोता था,
तब माँ सहला कर पुचकार कर 
मुझको उठाती थी 
और कहती थी........
कि, उठो राजा बेटे मेरे
जब बचपन की चादर ओढ़े 
मैं बेसुध होकर सोता था,
तब माँ सहला कर पुचकार कर 
मुझको उठाती थी 
और कहती थी........
कि, उठो राजा बेटे मेरे
देखो पापा आ गए......

तब मैं नंगाकर, आँख मीच कर 
उठता था
पापा को मुस्कराता देख
झट से उनके गोद में जाता था,
और जोर जोर से चिल्ल्लाता था
पापा आ गए........
पापा आ गए........ पापा आ गए! 

जब बचपन की चादर ओढ़े 
मैं बेसुध होकर सोता था,
तब माँ सहला कर पुचकार कर 
मुझको उठाती थी 
और कहती थी........
कि, उठो राजा बेटे मेरे