जब बचपन की चादर ओढ़े मैं बेसुध होकर सोता था, तब माँ सहला कर पुचकार कर मुझको उठाती थी और कहती थी........ कि, उठो राजा बेटे मेरे देखो पापा आ गए...... तब मैं नंगाकर, आँख मीच कर उठता था पापा को मुस्कराता देख झट से उनके गोद में जाता था, और जोर जोर से चिल्ल्लाता था पापा आ गए........ पापा आ गए........ पापा आ गए! जब बचपन की चादर ओढ़े मैं बेसुध होकर सोता था, तब माँ सहला कर पुचकार कर मुझको उठाती थी और कहती थी........ कि, उठो राजा बेटे मेरे