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।। ॐ ।। सा वि॒श्वायुः॒ सा वि॒श्वक॑र्मा॒ सा वि॒श्वध

।। ॐ ।।
सा वि॒श्वायुः॒ सा वि॒श्वक॑र्मा॒ सा वि॒श्वधा॑याः।
 इन्द्र॑स्य त्वा भा॒गꣳ सोमे॒नात॑नच्मि॒ विष्णो॑ ह॒व्यꣳर॑क्ष ॥४॥

पद पाठ
सा। वि॒श्वायु॒रिति॑ वि॒श्वऽआ॑युः। सा। वि॒श्वक॒र्मेति॑ वि॒श्वऽक॑र्मा। सा। विश्वधा॑या॒ इति॑ वि॒श्वऽधा॑याः। इन्द्र॑स्य। त्वा॒। भा॒गं। सोमे॑न। आ। त॒न॒च्मि॒। विष्णो॒ इति॒ वि॒ष्णो॑। ह॒व्यं। र॒क्ष॒ ॥


हे (विष्णो) व्यापक ईश्वर ! आप जिस वाणी का धारण करते हैं, (सा) वह (विश्वायुः) पूर्ण आयु की देनेवाली (सा) वह (विश्वकर्मा) जिससे कि सम्पूर्ण क्रियाकाण्ड सिद्ध होता है और (सा) वह (विश्वधायाः) सब जगत् को विद्या और गुणों से धारण करनेवाली है। पूर्व मन्त्र में जो प्रश्न है, उसके उत्तर में यही तीन प्रकार की वाणी ग्रहण करने योग्य है, इसी से मैं (इन्द्रस्य) परमेश्वर के (भागम्) सेवन करने योग्य यज्ञ को (सोमेन) विद्या से सिद्ध किये रस अथवा आनन्द से (आ तनच्मि) अपने हृदय में दृढ़ करता हूँ तथा हे परमेश्वर ! (हव्यम्) पूर्वोक्त यज्ञ सम्बन्धी देने-लेने योग्य द्रव्य वा विज्ञान की (रक्ष) निरन्तर रक्षा कीजिये ॥

O (Vishno) broad God!  The voice you hold, (sa) she (vishvayuah), who gives full life (sa), she (vishwakarma) that proves the whole action and (sa) she (vishvadhyaya), who wears all the world with knowledge and virtues.  is.  In response to the question in the former mantra, this is the only type of speech that is acceptable to you, from this I (Indrasya) proved the (Bhagam) consumable yajna of God with (soman) knowledge, from the juice or joy (aa tanmi)  ) I am strong in my heart and O God!  (Havayam) Continually protect (protect) material and science related to the aforesaid sacrifice.

( यजुर्वेद १.४ ) #यजुर्वेद #वेद #विष्णु
।। ॐ ।।
सा वि॒श्वायुः॒ सा वि॒श्वक॑र्मा॒ सा वि॒श्वधा॑याः।
 इन्द्र॑स्य त्वा भा॒गꣳ सोमे॒नात॑नच्मि॒ विष्णो॑ ह॒व्यꣳर॑क्ष ॥४॥

पद पाठ
सा। वि॒श्वायु॒रिति॑ वि॒श्वऽआ॑युः। सा। वि॒श्वक॒र्मेति॑ वि॒श्वऽक॑र्मा। सा। विश्वधा॑या॒ इति॑ वि॒श्वऽधा॑याः। इन्द्र॑स्य। त्वा॒। भा॒गं। सोमे॑न। आ। त॒न॒च्मि॒। विष्णो॒ इति॒ वि॒ष्णो॑। ह॒व्यं। र॒क्ष॒ ॥


हे (विष्णो) व्यापक ईश्वर ! आप जिस वाणी का धारण करते हैं, (सा) वह (विश्वायुः) पूर्ण आयु की देनेवाली (सा) वह (विश्वकर्मा) जिससे कि सम्पूर्ण क्रियाकाण्ड सिद्ध होता है और (सा) वह (विश्वधायाः) सब जगत् को विद्या और गुणों से धारण करनेवाली है। पूर्व मन्त्र में जो प्रश्न है, उसके उत्तर में यही तीन प्रकार की वाणी ग्रहण करने योग्य है, इसी से मैं (इन्द्रस्य) परमेश्वर के (भागम्) सेवन करने योग्य यज्ञ को (सोमेन) विद्या से सिद्ध किये रस अथवा आनन्द से (आ तनच्मि) अपने हृदय में दृढ़ करता हूँ तथा हे परमेश्वर ! (हव्यम्) पूर्वोक्त यज्ञ सम्बन्धी देने-लेने योग्य द्रव्य वा विज्ञान की (रक्ष) निरन्तर रक्षा कीजिये ॥

O (Vishno) broad God!  The voice you hold, (sa) she (vishvayuah), who gives full life (sa), she (vishwakarma) that proves the whole action and (sa) she (vishvadhyaya), who wears all the world with knowledge and virtues.  is.  In response to the question in the former mantra, this is the only type of speech that is acceptable to you, from this I (Indrasya) proved the (Bhagam) consumable yajna of God with (soman) knowledge, from the juice or joy (aa tanmi)  ) I am strong in my heart and O God!  (Havayam) Continually protect (protect) material and science related to the aforesaid sacrifice.

( यजुर्वेद १.४ ) #यजुर्वेद #वेद #विष्णु