ना ठहराव हमारा है ना तुम्हारा है ना बहाव हमारा है ना तुम्हारा है फिर घमंड किस का है। ना तुम चिलचिलाती धूप हो ना मैं ठंडी हवा हूं फिर घमंड किस का है ना तुम बदबूदार नाला हो ना मैं खुशबूदार बाग हूं फिर घमंड किस का है। ना तुम ईद की चांद हो ना मैं अमोश्या का काली रात हूं फिर घमंड किस का है।। ©Kabita Kumari Singh #Lights #Light