सुनो, मैं चाँद कैसे लाऊँ,ये पता नही मुझे, हाँ पर उसी शेप का पिज्जा कैसा रहेगा ? क्या ख़याल है तुम्हारा, गर मैं गुलाब के बदले मैं उसी रंग की एक लिपिस्टिक ला दूँ वो तो पसंद है ना तुम्हें ! और कैसा रहेगा गर पास ही के एक दुकान से मैं काजल की डिबिया लाकर सजा दूँ तुम्हारी बड़ी बड़ी आँखों को, क्या गले से लगाओगे मुझे ? हाँ पर मैं चाँद कैसे लाऊँ, ये पता नही मुझे !