जब आवाज़ दूं तुम्हें मैं मेरे आंखों के आंसू बन जाना अब कोई ख्वाइश नहीं बची है मेरे पास रातो की आजमाइश बन जाना .... ____________________________________________ ((((( ख़ुद को पाकर ख़ुद से उलझी रहती हूं ))))) ((((( तेरे यादों से अब बहुत दूर रहती हूं )))))) ((((( मंजर वही पास है , लेकिन अब कोई बात नहीं )))) (((( तूफ़ा से नजरें मिलाए अब बहुत करीब खड़ी रहती हूं )))) ______________________________________________