देव भी उठते हैं सोकर, और ज्यादा जाग्रत होकर, यह मनुज तुम जानते हो, अपनी निद्रा तोड़ करके, फिर नही क्यों जागते हो? निद्रा जो है कुम्भकर्णी, पर ये बिल्कुल अदृश्य है, तुम समझते जागते हो, पर नही यह जानते हो, निद्रा यह तन की नही है, यह तुम्हारे मन पर घनी है, मन की निद्रा को मिटाओ, देव संग खुद को जगाओ, चलो फिर देव उठनी बनाओ । चलो फिर देव उठनी बनाओ ।। -विनय #Gyaras