माँ - बाप से हम दूर होकर हालातों से मजबूर होकर मेहमान की तरह आये थे उम्मीदें हम भरपुर लेकर खुद को यहां जाना हमने दुनिया को पहचाना हमने चाहे कोई भी नवोदय हो आज अपना सा वो लगता है सात साल मैं नवोदय मे, अब नवोदय मुझमें रहता है महान हैं वो शिक्षक जिनका हमें आशीर्वाद रहा नवोदय के साथ रहा और नवोदय के बाद रहा ना केवल पढ़ाया बल्कि जीना बेहतर सीखाया है नवोदय की इस मिट्टी में ज्ञान का सागर बहता है सात साल मैं नवोदय मे, अब नवोदय मुझमें रहता है वर्षो से अनजान रहा , वो पल भर में मिल जाता है बस नवोदय का नाम सुनकर छोटा भाई हो जाता है छोटे - बड़े सब साथ हुए मिलकर एक परिवार हुए कुछ वर्षो का साथ हमारा, जीवन भर ये चलता है सात साल मैं नवोदय मे, अब नवोदय मुझमें रहता है बचपन से जवानी तक हर किस्सा हर कहानी तक लड़ाई - पढ़ाई से खेल - कूद और शैतानी तक खट्टा - मीठा अच्छा - बुरा हर अनुभव से मैं गुजरा हूं कभी जाने से डरता था अब रह जाने का मन करता है सात साल मैं नवोदय मे, अब नवोदय मुझमें रहता है दुनिया मे अपना नाम किया नवोदय का सम्मान किया नवोदय की काबिलियत को लोगों ने भी मान लिया खुद अपनी ही तारीफ में अब कैसे क्या मैं बया करूं नवोदयन की तो बात अलग हैं, ये हर कोई कहता है सात साल मैं नवोदय मे, अब नवोदय मुझमें रहता है ©Amit Chaturvedi नवोदय