ज़िन्दगी की ये जद्दोज़हद किसके लिये ज़हर ख़ुद को ही पीना है शहद किसके लिये बाँध रक्खा है ख़ुद को कश्मकश की डोर से जाने क्यूँ नहीं लांघता हूँ ये हद किसके लिये उजड़े हुए आशियाँ को बसाना मुमकिन नहीं फिर ठान रक्खा है ये अहद किसके लिये टूटी हुई उम्मीदों को तसल्ली किससे मिले सोचता रहता हूँ मैं बेहद किसके लिये #अभिशप्त_वरदान #yqbaba #yqdidi #yqhindi #कश्मकश