White अंधेरों में हौसला लेकर, राहों पर मैं चलता गया, थी आँधियाँ, थे तूफान कई, पर मैं तो बस बढ़ता गया। राह कठिन थी, कांटे बिछे, हर कदम था मुश्किल भरा, पर दिल में थी एक लौ जली, जो डर को हर पल जलाती रही। गिरा भी मैं, संभल भी गया, थकान ने रोका कई बार, पर हिम्मत से फिर खड़ा हुआ, आगे बढ़ता गया बार-बार। आखिरी में, दूर कहीं, मंजिल की एक झलक मिली, देरी सही, पर जीत मिली, अंधेरों में चलकर रोशनी मिली। हौसले और जज़्बे से, मैंने हर मुश्किल पार की, अंधेरों में ही सही, मंजिल की राह साकार की। ©Amrendra Kumar Thakur #रास्ता