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White पल्लव की डायरी जख्म कुछ कम नही सब सहती हूँ घ

White पल्लव की डायरी
जख्म कुछ कम नही
सब सहती हूँ
घरो से निकल तो आयी आजादी पाने
मगर लहुलुहान बाजारबाद कर रहा है
संग संगति इतनी बिगड़ी
शील हरण हो रहा है
कई द्रोपदी कई सीताओं का
 आज भी मजाक बन रहा है
नारो में ही नारी का शक्तिकरण हो रहा है
                                             प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"
  #sad_shayari नारो में ही नारी का शक्तिकरण हो रहा है
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