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ज़रा इस हाल-ए-मौसम पर नज़र कीजिये हो रही बारिश

ज़रा इस  हाल-ए-मौसम  पर  नज़र  कीजिये
हो रही  बारिश में  खुद को  तर बतर कीजिये !

सोचिए उनको  जिनके आशियाने  उजड़ गये
ख़ुद को परिंदों को पनाह देता शज़र कीजिये !

सूखी दरिया को  भला कौन सलाम करता है
अपनी साँसों को  मझधार की लहर कीजिये !

ख़्वाहिशों की  दौड़ में  हार जाता है  आदमी
जो दिया रब ने उसी में  गुज़र बसर कीजिये !

लफ़्ज़ों को एहतियात से पेश कीजिये मलय
आप चाहे अमृत कीजिये  या ज़हर कीजिये !

©malay_28 #बसर कीजिये

#RepublicDay
ज़रा इस  हाल-ए-मौसम  पर  नज़र  कीजिये
हो रही  बारिश में  खुद को  तर बतर कीजिये !

सोचिए उनको  जिनके आशियाने  उजड़ गये
ख़ुद को परिंदों को पनाह देता शज़र कीजिये !

सूखी दरिया को  भला कौन सलाम करता है
अपनी साँसों को  मझधार की लहर कीजिये !

ख़्वाहिशों की  दौड़ में  हार जाता है  आदमी
जो दिया रब ने उसी में  गुज़र बसर कीजिये !

लफ़्ज़ों को एहतियात से पेश कीजिये मलय
आप चाहे अमृत कीजिये  या ज़हर कीजिये !

©malay_28 #बसर कीजिये

#RepublicDay
malay285956

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