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मिठ्ठी का कुल्लड़ और तुम्हारे ख्वाब चाय जिसकी आखिर

 मिठ्ठी का कुल्लड़ और तुम्हारे ख्वाब

चाय जिसकी आखिरी चुस्की मुझे मेरे अधुरे ना-मुक्कमल इश्क का एहसास कराती हैं। जो अक्सर तुम्हें सोचते हुए खत्म होती हैं। फिर मेरे हाथ से वो मिठ्ठी का कुल्लड़ छूट जाता हैं, वो नीचें गिरता हैं, टूट जाता हैं थोड़ा बिखरता भी हैं और इसी के साथ वो बातों का सिलसिला भी खत्म होता हैं जो सिर्फ तुमसे करना था मुझे।
कई सारी बाते होती हैं कई तर्क मैं देता हूँ जिससे मेरा प्यार जस्टिफाई हो जो ये सिद्ध कर सके की मेरी मोहब्बत सिर्फ तुम्हारे बदन तक ही सीमित नहीं थी। मैं बात करता हूँ उन सारे समर्पण का जो तुमहारे लिए था मेरा।
‌एक घर था मेरे अंदर जो कभी घर बना ही नहीं तुम गई ऐसे की दुबारा मिली ही नहीं। तुम तब भी मेरे लिए सब कुछ थी और आज भी सब कुछ हो लेकिन तुम्हारी वजह से जो रुसवाई दफ्न हैं मेरे अंदर उस का क्या। सबको यहीं कहता हूँ कि उसकी लाइफ हैं जाहिर फैसले भी उसी के हैं। पर क्या तुम्हारा किसी और से इश्क करना बरदाश्त होता हैं तुम्हारी इंसटा पर किसी और के जन्मदिन की तस्वीरे यकीनन थोड़ा दर्द देतीं हैं। फिर  ख्याल आता हैं की मुझे तो प्यार हैं तुमसे तुम्हारी खूशी मे तो खुश रहना हैं मुझे।।
‌चाय अब खत्म होने को हैं। कुल्लड़ भी टूटने वाला है और तुमसे बात करने का सिलसिला भी खत्म होने को हैं।
‌कल  फिर एक चाय होगीं, तुम होगीं तुम्हारी कुछ बातें होगीं।
 मिठ्ठी का कुल्लड़ और तुम्हारे ख्वाब

चाय जिसकी आखिरी चुस्की मुझे मेरे अधुरे ना-मुक्कमल इश्क का एहसास कराती हैं। जो अक्सर तुम्हें सोचते हुए खत्म होती हैं। फिर मेरे हाथ से वो मिठ्ठी का कुल्लड़ छूट जाता हैं, वो नीचें गिरता हैं, टूट जाता हैं थोड़ा बिखरता भी हैं और इसी के साथ वो बातों का सिलसिला भी खत्म होता हैं जो सिर्फ तुमसे करना था मुझे।
कई सारी बाते होती हैं कई तर्क मैं देता हूँ जिससे मेरा प्यार जस्टिफाई हो जो ये सिद्ध कर सके की मेरी मोहब्बत सिर्फ तुम्हारे बदन तक ही सीमित नहीं थी। मैं बात करता हूँ उन सारे समर्पण का जो तुमहारे लिए था मेरा।
‌एक घर था मेरे अंदर जो कभी घर बना ही नहीं तुम गई ऐसे की दुबारा मिली ही नहीं। तुम तब भी मेरे लिए सब कुछ थी और आज भी सब कुछ हो लेकिन तुम्हारी वजह से जो रुसवाई दफ्न हैं मेरे अंदर उस का क्या। सबको यहीं कहता हूँ कि उसकी लाइफ हैं जाहिर फैसले भी उसी के हैं। पर क्या तुम्हारा किसी और से इश्क करना बरदाश्त होता हैं तुम्हारी इंसटा पर किसी और के जन्मदिन की तस्वीरे यकीनन थोड़ा दर्द देतीं हैं। फिर  ख्याल आता हैं की मुझे तो प्यार हैं तुमसे तुम्हारी खूशी मे तो खुश रहना हैं मुझे।।
‌चाय अब खत्म होने को हैं। कुल्लड़ भी टूटने वाला है और तुमसे बात करने का सिलसिला भी खत्म होने को हैं।
‌कल  फिर एक चाय होगीं, तुम होगीं तुम्हारी कुछ बातें होगीं।