छुपते फिरते रहे तुम्हारे प्रकृति से सिमित रहे भय में असन्तुलन का भय खीझ में छुपते फिरते तह तक छूने की चाह स्थिर रही आभाष सा समाचार,दर आमद का शोध व्यतिगत चुनौती मानकर छुपते फिरते त्तपरता गत व्याकुलता अंत कर एक दिवस आऊंगा राजनीति संस्थागत व्यवहार में संलग्न हूँ ! राजनीति का सबसे छोटा सिपाही,'चौकीदार'! छुपते फिरते रहे आख़िर किस से... #छुपतेरहे #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #विप्रणु #life #poetry #yqdidi