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मेरे जीवन नैया की पतवार बन ग़म रुपी पानी को पीछे ध

 मेरे जीवन नैया की पतवार बन ग़म रुपी पानी को पीछे धकेल सुख की और अग्रसर करती है,

हिचकौले खाती ज़िन्दगी मेरी एक तेरे ही सहारे खुद को सुरक्षित महसूस करती है..!

रुकी रुकी सी साँसों में भी जीने की आस भरती है,आये तूफानी लहरें या हो ग़म का सैलाब बीच भंवर को पार करती है,

साहिल पर सुख की पहुँचा कर सहभागी खुशियों की बनती हैं..!

©SHIVA KANT
  #jivannaiya