मुझे नहीं पता मेरे जीवन का क्या होगा? मैं इसे कोई अर्थ दे पाउँगा या नहीं! अपने वचनों के प्रति संकल्पित हो कर। यक़ीन पे ख़रा उतर पाउँग या नहीं। इश्क़ की दहलीज़ पे आकर खड़ा हूँ। मैं और आगे भी बढ़ पाउँगा या नहीं। तुमने तो मिटा दिए दाग़ दामन से मेरे। मैं तेरे आँचल का चाँद हो पाउँगा या नहीं। तड़प कर बरसे हैं बादल कल से ही। मैं इस बारिश में भीग पाउँगा या नहीं। रूठे रूठे लफ़्ज़ और एहसास ख़ामोश हैं। पंछी' आगे कुछ और लिख पाउँगा या नहीं। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1003 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।