तमाम उम्र मैं एक अज़नबी के घर में रहा ! ज़स्तजू थी मंजिल की फिर भी सफर में रहा!! उसे तो मिल गया दरिया का साहिल! और एक मैं था कि तलाश ऐ हमसफ़र में रहा!! @vकाs ©आज़ाद परिंदे #tamam_umr_mai_ek_ek_ajnabi_ke_ghar_me_raha #DarkCity