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Sea water मैं पिघलता हुआ बर्फ सा हूं और यहां मानो

Sea water मैं पिघलता हुआ बर्फ सा हूं और यहां मानो बस सब पीछे छूट रहा है । वो अणु जिसे मैंने आपस में जोड़ कर रखा था वो एक दूसरे से आजाद होना चाह रहे हैं। वो पिघल कर एक आकार से मुक्त होना चाह रहे हैं ।मुझे साकार से प्रेम हो गया है और मेरे भीतर के अणु  निराकार होना चाहते हैं । मैं चाहता हूं की सब यथावत रहे , मैं ऐसे ही बहकी बहकी बातें करता रहूं और सब मेरे नियंत्रण में रहे, सब मेरी रचनाओं पर ताली बजाएं ,मेरे अहंकार को बल दे पर वास्तव में ऐसा होता हुआ प्रतीत नहीं हो रहा है । ऐसा लग रहा है की मैं विशालकाय बर्फ के टुकड़े के अंदर बस एक और बर्फ का टुकड़ा हूं जहां सब पिघल कर पानी होने जा रहा है ।ऐसा लग रहा है मेरे नियंत्रण में कुछ भी नही हैं, मैं स्वयं भी नही हूं अपने नियंत्रण में तो दुनिया से क्या ही अपेक्षा रखूं ।

©"Vibharshi" Ranjesh Singh #Barf
Sea water मैं पिघलता हुआ बर्फ सा हूं और यहां मानो बस सब पीछे छूट रहा है । वो अणु जिसे मैंने आपस में जोड़ कर रखा था वो एक दूसरे से आजाद होना चाह रहे हैं। वो पिघल कर एक आकार से मुक्त होना चाह रहे हैं ।मुझे साकार से प्रेम हो गया है और मेरे भीतर के अणु  निराकार होना चाहते हैं । मैं चाहता हूं की सब यथावत रहे , मैं ऐसे ही बहकी बहकी बातें करता रहूं और सब मेरे नियंत्रण में रहे, सब मेरी रचनाओं पर ताली बजाएं ,मेरे अहंकार को बल दे पर वास्तव में ऐसा होता हुआ प्रतीत नहीं हो रहा है । ऐसा लग रहा है की मैं विशालकाय बर्फ के टुकड़े के अंदर बस एक और बर्फ का टुकड़ा हूं जहां सब पिघल कर पानी होने जा रहा है ।ऐसा लग रहा है मेरे नियंत्रण में कुछ भी नही हैं, मैं स्वयं भी नही हूं अपने नियंत्रण में तो दुनिया से क्या ही अपेक्षा रखूं ।

©"Vibharshi" Ranjesh Singh #Barf