Nojoto: Largest Storytelling Platform

होकर बड़ा बनु में कृषक" होकर बड़ा बनू 'मैं' कृष

  होकर बड़ा बनु में कृषक"

होकर बड़ा बनू 'मैं' कृषक ,ना रहे अन्न का रोना,
सबके पेट ख़ुशी से भर दूं , पड़े ना भूखा सोना।

हीरे मोती किस मिट्टी में किस मिट्टी में सोना,
चांदी फलती किस मिट्टी में हे किसान बतला दो ना।

कर्म मेरा मेहनत करना, बीज ख़ुशी से बोना,
सही फ़सल तो उगले सोना, मरी फसल तो रोना।

सोने जैसी फसल उगा के, औरों पर आश्रित होना,
कौन मूल्य निर्धारित करता, किसका बिकता सोना।

हूं किसान अन्न का दाता, नियति मेरी शोषण होना,
मेरी तुझको सीख रही है, हे बालक किसान मत होना।

©Anuj Ray
  #होकर बड़ा बनू 'मैं' कृषक
anujray7003

Anuj Ray

Bronze Star
New Creator
streak icon1

#होकर बड़ा बनू 'मैं' कृषक #जानकारी

455 Views