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तकलीफ होती है जब आप जिस से चाहे की आपको समझे लेकिन

तकलीफ होती है जब आप जिस से चाहे की आपको समझे लेकिन वो ही आपको सुन ने से ही इंकार कर दे या यूं कहे की आपको लाचार कर दे अपनी न खत्म होने वाली तर्क रहित बातों से । टूटना लाज़िम है आपका सहना वाजिब है आपका क्यों की वो बन चुकी है हमारी आदत। किस्मत वाले है आप अगर आपका पाला ऐसे लोगों से नहीं पड़ा और कर सकते है आप अपने मन की हर वक्त। आप नही बर्बाद कर रहे अपनी जिंदगी किसी और की वजह से और कर पा रहे है वों जो आप करना चाहते है । और अगर आप भी अकेले ही हैं तो खोजिए अपनी घर की पुरानी अलमारी में किताबें कोई न कोई मिल ही जायेगी जिसमे लिखी होंगी आपके अंतर्द्वंद्व को शांत करने की बातें। जो देगी आपको रोशनी उस घनघोर अंधेरे से बाहर निकलने की । फिर से विश्वास करने की ताकत और टूटने के बाद खुद को सहेजने की क्षमता ।

©Himanshu Mishra
  #व्यथित_मन