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"unknown" जो फ़र्ज़ को ही भुला दे वो प्यार ठीक नहीं

"unknown"

जो फ़र्ज़ को ही भुला दे वो प्यार ठीक नहीं
न ख़त्म हो जो कभी इन्तिज़ार ठीक नहीं

यहाँ किसी को भी दुनिया में सब नहीं मिलता
तो ख़्वाहिशें हों अगर बेशुमार ठीक नहीं

गुज़र चुका है बड़ा वक़्त अब भुला उसको
किसी पुरानी मोहब्बत का ख़ार ठीक नहीं

अभी तलक क्यों कदम तेरे डगमगाते हैं
बिना पिए ही चढ़ा ये ख़ुमार ठीक नहीं

ये राज दिल के कभी दोस्तों से मत कहना
किसी पे इतना अधिक ए'तिबार ठीक नहीं

बुरा समय ही बताता है कौन अपना है
न साथ दे जो ग़मों में वो यार ठीक नहीं

दुआ तेरी जो अगर वो कभी नहीं सुनता
खुदा से भी माँगना बार बार ठीक नहीं।




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©@thewriterVDS
  इस गजल के लेखक का नाम पता नहीं था इसीलिए "unknown" लिखा है।
अगर किसी को पता हो तो कृपया बताएं कि मैं उनको इसका श्रेय दे सकूं।
धन्यवाद 🙏

#फ़र्ज़ #प्यार #ठीक #ख़त्म #दुनिया #बेशुमार #वक़्त #पुरानी #मोहब्बत 
#Sunhera

इस गजल के लेखक का नाम पता नहीं था इसीलिए "unknown" लिखा है। अगर किसी को पता हो तो कृपया बताएं कि मैं उनको इसका श्रेय दे सकूं। धन्यवाद 🙏 #फ़र्ज़ #प्यार #ठीक #ख़त्म #दुनिया #बेशुमार #वक़्त #पुरानी #मोहब्बत #Sunhera

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