तेरी याद मुझको सताती बहुत है।। ये आँखों की कजरा, ये बालों की गजरा ये पल - पल तुम्हे ही बुलाती बहुत है रोकूँ मैं कैसे ? भला ये बताओ तेरी याद मुझको सताती बहुत है।। ये सावन का मौसम, ये शीतल बयारे अगन तन-मन ये लगाती बहुत है कैसे संभालु खुद को इस अगन से कि तेरी याद मुझको सताती बहुत है।। आँखों से मेरे.. जल ये बहाकर मोहब्बत का नग़मे गुनगुनाती बहुत है लेकर तेरा नाम कपकपाती है अधरे कि तेरी याद मुझको सताती बहुत है।। अंजली श्रीवास्तव तेरी याद आती बहुत है