कभी नीयत गिरेगी,कभी सज्दा गिरेगा । इंसा से ज्यादा कोई,और क्या गिरेगा । अपने हिस्से की अदाकारी कर रहे हैं सब । " अज़ीम" एक रोज हमारे नाटक का पर्दा गिरेगा । azeem khan # अपने हिस्से की अदाकारी #