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Black मिलकर हमने साथ गढ़े थे,सपनो के सोपान। बीच डग

Black मिलकर हमने साथ गढ़े थे,सपनो के सोपान।
बीच डगर में  टूटा नाता,कैसा यह  व्यवधान॥

प्रायः वक्त सिखा ही देता,जीवन की हर  सीख।
आवश्यकता गहरी जितनी,उतनी महंगी भीख॥
सुखद पलों में  दिखे हमेशा,बहुधा सुंदर  चित्र।
विपदा  में जो साथ  निभाए,वही  हमारा  मित्र॥

सुई अगर  डोरे से  लड़ ले,और ठान  ले  बैर।
फिर दर्जी कैसे सिल पाए,आकर्षक परिधान॥
मिलकर हमने,,,,,,

कलह,द्वंद्व से कोमल उर भी,हो  जाते पाषाण।
जीवन नीरस हो जाता बस,नहीं निकलते प्राण॥
सुख  आने पर तरह तरह के,मानव भोगे भोग।
दुख  में साथ  खड़े होते जो,याद नहीं वे  लोग॥

आज  भावना  संग हमेशा,होता है खिलवाड़।
अपनों से ही छल कर बैठे,कैसा  वह इंसान॥
मिलकर हमने,,,,,,

~वरुण तिवारी ~

©वरुण तिवारी ~*मुसाफिरखाना*~ #Thinking Chocolate सचिन सारस्वत M.k.kanaujiya Kumar Shaurya RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'
Black मिलकर हमने साथ गढ़े थे,सपनो के सोपान।
बीच डगर में  टूटा नाता,कैसा यह  व्यवधान॥

प्रायः वक्त सिखा ही देता,जीवन की हर  सीख।
आवश्यकता गहरी जितनी,उतनी महंगी भीख॥
सुखद पलों में  दिखे हमेशा,बहुधा सुंदर  चित्र।
विपदा  में जो साथ  निभाए,वही  हमारा  मित्र॥

सुई अगर  डोरे से  लड़ ले,और ठान  ले  बैर।
फिर दर्जी कैसे सिल पाए,आकर्षक परिधान॥
मिलकर हमने,,,,,,

कलह,द्वंद्व से कोमल उर भी,हो  जाते पाषाण।
जीवन नीरस हो जाता बस,नहीं निकलते प्राण॥
सुख  आने पर तरह तरह के,मानव भोगे भोग।
दुख  में साथ  खड़े होते जो,याद नहीं वे  लोग॥

आज  भावना  संग हमेशा,होता है खिलवाड़।
अपनों से ही छल कर बैठे,कैसा  वह इंसान॥
मिलकर हमने,,,,,,

~वरुण तिवारी ~

©वरुण तिवारी ~*मुसाफिरखाना*~ #Thinking Chocolate सचिन सारस्वत M.k.kanaujiya Kumar Shaurya RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'