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हर रोज जो गगन के नीड़ में,     नव रूप गढ़ती ,       

हर रोज जो गगन के नीड़ में,
    नव रूप गढ़ती ,
           साहस से चलती ,
                    हौंसलों से उड़ान भरती है।
वह यारों की टोली,याद आती हैं।
इस शहर के कोलाहल में,
        मन के एकाकीपन में
नयनों से ओझल होती ,
यारों की ......!
उमंग के संग में , व्यंग्य में 
     जीवन के हर रंग -विरंग में,उत्सव करती।
          वह टोली याद आती है।
जीवन के कठिन क्षण में, प्रेरणा देती।
यारों की टोली.....✍️ सुभाष #Love
हर रोज जो गगन के नीड़ में,
    नव रूप गढ़ती ,
           साहस से चलती ,
                    हौंसलों से उड़ान भरती है।
वह यारों की टोली,याद आती हैं।
इस शहर के कोलाहल में,
        मन के एकाकीपन में
नयनों से ओझल होती ,
यारों की ......!
उमंग के संग में , व्यंग्य में 
     जीवन के हर रंग -विरंग में,उत्सव करती।
          वह टोली याद आती है।
जीवन के कठिन क्षण में, प्रेरणा देती।
यारों की टोली.....✍️ सुभाष #Love