सीता का तन-मन रहता था व्याकुल प्रतिदिन नि:संदेह श्रीराम से मिलन को, पर मिलन के पश्चात देना होगा पवित्रता का प्रमाण मालूम न था सिया को। महलों की रानी सीता ने लव कुश को जन्म दिया वन में पाला पोसा बड़ा किया, गुरु वाल्मीकि ने रामायण कंठस्थ कराई वीर निडर योद्धा बनने की शिक्षा दी। राम के सम्मुख रामायण का गुणगान किया, लव-कुश के पुत्र होने का भान हुआ, सीता को बुलाया भरी सभा में प्रजा के संग राम ने भी पवित्रता का प्रमाण मांगा। मन ही मन बहुत व्यथित हुई और अकुलाई सीता डरी नहीं थी वह पवित्र-पुनीता, भरी सभा में राम से प्रश्न किया क्यों बार-बार पतिव्रता होने का प्रमाण लिया जाता प्रमाण देने से मना किया दु:खी हृदय से सीता ने धरती माता का आह्वान किया, सीता ने कहा यदि मैंने पतिव्रता धर्म का पालन किया है तो धरा में समा जाऊं। धरती माता सीता की पुकार सुन सीता को लेने सिंहासन लेकर स्वयं पधारी, सीता को पुत्री कहकर अपनी गोद में बिठाया भू-गमन के लिए प्रस्थान किया। इस दुनियां में युगों-युगों से नारी की पवित्रता पर ही उंगली उठाई जाती रही है, जाने कब होगी खत्म यह नारी की अग्निपरीक्षा हर युग में ही सताई जाती रही है। -"Ek Soch " #yqbaba #yqdidi #myquote #openforcollab #collabwithmitali #ramayan_ka_saar #sita_bhoo_gaman 📀Time limit till 11:59 pm tommorow... 📀No word limit 📀You have to maintain these hashtags