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कुछ तो है जो अँधेरे उजालो सबसे परे मौन-वाणी,भाषा-प

कुछ तो है जो
अँधेरे उजालो सबसे परे
मौन-वाणी,भाषा-परिभाषा,  शब्द-अर्थ सबसे दूर... ...! 

निकट ही कहीं,  परन्तु खोज से अछूता
स्पर्श और अनुभव की  सीमाओं से अनकहा,
अनछुआ,बिम्बों की परिधि  और विस्तार से विलग......!! 

परिकल्पनाओं के आलिंगनों से स्वतंत्र   स्वच्छन्द, गूढ़,गहन या कि सरल
अनुभूतियों की परिसीमा से भिन्न  समस्त जटिलताओं के पार
व्यापक या कि सूक्ष्म   अपार,अशेष 

आशाओं का पुष्प गुच्छ   स्वप्नों का अन्तर्जाल
कल्पनाओं का उच्चतम शिखर  कामनाओं, तृष्णाओं,
व इच्छाओं के अथाह समुद्र को  स्वयं में विलय कर 
एकाकार होता  अनादि व अंतहीन..... 

बहुत कुछ है जो  वास्तव में समझ से परे है
या कि हम समझना ही   नहीं चाहते..... 

उत्तर मिले तो बताइएगा.......?? 

#डियरकॉमरेड

©Ankur Mishra कुछ तो है जो
अँधेरे उजालो सबसे परे
मौन-वाणी,भाषा-परिभाषा,
शब्द-अर्थ सबसे दूर... ...! 

निकट ही कहीं,
परन्तु खोज से अछूता
स्पर्श और अनुभव की
कुछ तो है जो
अँधेरे उजालो सबसे परे
मौन-वाणी,भाषा-परिभाषा,  शब्द-अर्थ सबसे दूर... ...! 

निकट ही कहीं,  परन्तु खोज से अछूता
स्पर्श और अनुभव की  सीमाओं से अनकहा,
अनछुआ,बिम्बों की परिधि  और विस्तार से विलग......!! 

परिकल्पनाओं के आलिंगनों से स्वतंत्र   स्वच्छन्द, गूढ़,गहन या कि सरल
अनुभूतियों की परिसीमा से भिन्न  समस्त जटिलताओं के पार
व्यापक या कि सूक्ष्म   अपार,अशेष 

आशाओं का पुष्प गुच्छ   स्वप्नों का अन्तर्जाल
कल्पनाओं का उच्चतम शिखर  कामनाओं, तृष्णाओं,
व इच्छाओं के अथाह समुद्र को  स्वयं में विलय कर 
एकाकार होता  अनादि व अंतहीन..... 

बहुत कुछ है जो  वास्तव में समझ से परे है
या कि हम समझना ही   नहीं चाहते..... 

उत्तर मिले तो बताइएगा.......?? 

#डियरकॉमरेड

©Ankur Mishra कुछ तो है जो
अँधेरे उजालो सबसे परे
मौन-वाणी,भाषा-परिभाषा,
शब्द-अर्थ सबसे दूर... ...! 

निकट ही कहीं,
परन्तु खोज से अछूता
स्पर्श और अनुभव की