वक्त दर वक्त शज़र की शाखे बदलती रही , पशेमाँ मंज़र भी देखे हमने अपनी जीस्त में, सो ये हुआ के हमारी आँखे बदलती रही । - राजेश "राणा" जीस्त #nojoto #hindinojoto #वक्त #शाख़ #जीस्त #पशेमाँ #मंज़र #आँख