मुश्त-ए-खाक (मुठी भर रेत) समझ कर ,, मुझे बारिशों के हवाले कर दिया। वो जो समझते थे कि,,मिट जाएगा मेरा नाम-ओ-निशां। उनसे कहो कि बारिशों ने मुझे,,हिमालय कर दिया। ©Surjit sabir✍️ #rain Sudha Tripathi R.Kumar Rana Sachin Banwal