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जज़्बा-ए-इश्क़ सलामत है तो इंशा-अल्लाह कच्चे धागे

जज़्बा-ए-इश्क़ सलामत है तो इंशा-अल्लाह 
कच्चे धागे से चले आएँगे सरकार बंधे Amin bhanu Sangana 

Jalor शायरी की डायरी का  खजाना
जज़्बा-ए-इश्क़ सलामत है तो इंशा-अल्लाह 
कच्चे धागे से चले आएँगे सरकार बंधे Amin bhanu Sangana 

Jalor शायरी की डायरी का  खजाना
aminbhanu9437

Amin bhanu

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