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पूजा-पाठ मनुष्य को पूजा भाटिया का अनुष्ठान जीवन को

पूजा-पाठ मनुष्य को पूजा भाटिया का अनुष्ठान जीवन को नियमित व्यवसाय तथा सहमति करने के लिए करना चाहिए ना की किसी चमत्कार के लिए बहुत से लोग यह कहते हैं सुन जाते हैं कि बहुत दिनों से धार्मिक कार्य कर रहे हैं ताकि भगवान प्रकट हो जाए और उनसे हम अपनी समस्या बदला कर उसके समाधान का वरदान प्राप्त किया जाए धर्म ग्रंथों की कथाओं में ऐसे सुनते पढ़ते यह दिमाग में बैठ गया है कि पूजा-पाठ आदि से भगवान एकाएक अकाश से अपने वाहन पर बैठकर आएंगे तो है कहेंगे बस वरदान मांगो जबकि ऐसा कुछ भी नहीं होने पर निराशा होती है और भगवान की सत्ता मान्यता पर विश्वास होने लगता है धर्म ग्रंथों की कथाओं पर ध्यान दिया जाए तो इस तरह की बात ही नहीं होगी जब तक से नकारात्मक दूर होती है आत्म बल मजबूत होता है सच कहा जाए तो आत्म बल ही भगवान आत्मबल सत्य आचरण से ही संभव है जबकि गलत कामों से भय उत्पन्न होता है वह व्यक्ति को इतना कमजोर बना देता है कि वह हमेशा संयम में रहता है इस स्थिति में दिमाग डामाडोल हालत में रहता है फिर कोई काम सुचारु रुप से नहीं हो पाता जीवन आचार्य बाधित होती है जिस प्रकार से बादलों से गिरे सूरज से प्रकाश नहीं मिलता उसी प्रकार 2 गुणों से गिरे मन में ऊर्जा वाहन विचार नहीं जन्म लेंगे जब संकला भी कमजोर होगा तब कार्य उसी प्रकार कमजोर होंगे जैसी नींव कमजोर होने पर भवन मजबूत नहीं बन सकता भगवान की पूजा करते समय 59 गुणों को अपनाने पर जोर देना चाहिए जो मनुष्य से देवता बनाने की राह पर ले जाएं अंत्य जीवंतता हालात को कोसने की बजाय हंसते मुस्कुराते समय व्यतीत करना चाहिए क्योंकि रोते हालात में काम बनने की वजह और बिगड़ जाए वीर वसुंधरा का आशय यही है कि प्रतिकूल को छीलने में जो दक्ष है धरती पर उस प्रकार की उपलब्धि हासिल होकर रहती है

©Ek villain #poojapandey 

#MereKhayaal
पूजा-पाठ मनुष्य को पूजा भाटिया का अनुष्ठान जीवन को नियमित व्यवसाय तथा सहमति करने के लिए करना चाहिए ना की किसी चमत्कार के लिए बहुत से लोग यह कहते हैं सुन जाते हैं कि बहुत दिनों से धार्मिक कार्य कर रहे हैं ताकि भगवान प्रकट हो जाए और उनसे हम अपनी समस्या बदला कर उसके समाधान का वरदान प्राप्त किया जाए धर्म ग्रंथों की कथाओं में ऐसे सुनते पढ़ते यह दिमाग में बैठ गया है कि पूजा-पाठ आदि से भगवान एकाएक अकाश से अपने वाहन पर बैठकर आएंगे तो है कहेंगे बस वरदान मांगो जबकि ऐसा कुछ भी नहीं होने पर निराशा होती है और भगवान की सत्ता मान्यता पर विश्वास होने लगता है धर्म ग्रंथों की कथाओं पर ध्यान दिया जाए तो इस तरह की बात ही नहीं होगी जब तक से नकारात्मक दूर होती है आत्म बल मजबूत होता है सच कहा जाए तो आत्म बल ही भगवान आत्मबल सत्य आचरण से ही संभव है जबकि गलत कामों से भय उत्पन्न होता है वह व्यक्ति को इतना कमजोर बना देता है कि वह हमेशा संयम में रहता है इस स्थिति में दिमाग डामाडोल हालत में रहता है फिर कोई काम सुचारु रुप से नहीं हो पाता जीवन आचार्य बाधित होती है जिस प्रकार से बादलों से गिरे सूरज से प्रकाश नहीं मिलता उसी प्रकार 2 गुणों से गिरे मन में ऊर्जा वाहन विचार नहीं जन्म लेंगे जब संकला भी कमजोर होगा तब कार्य उसी प्रकार कमजोर होंगे जैसी नींव कमजोर होने पर भवन मजबूत नहीं बन सकता भगवान की पूजा करते समय 59 गुणों को अपनाने पर जोर देना चाहिए जो मनुष्य से देवता बनाने की राह पर ले जाएं अंत्य जीवंतता हालात को कोसने की बजाय हंसते मुस्कुराते समय व्यतीत करना चाहिए क्योंकि रोते हालात में काम बनने की वजह और बिगड़ जाए वीर वसुंधरा का आशय यही है कि प्रतिकूल को छीलने में जो दक्ष है धरती पर उस प्रकार की उपलब्धि हासिल होकर रहती है

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