यदि हमने अपनी लोकभाषा को ही देखा और समझा होता तो हम सपनों में छिपे अर्थ के सिद्धांत तक एक छोटे रास्ते से ही पहुँच सकते थे लोक या जन-जन की भाषा में कहें तो सपने प्रमुख रूप से इच्छाओं की पूर्ति करने वाले वरदान होते हैं तभी तो कई बार उम्मीद से ज्यादा मिलने पर कहते हैं इसकी तो सपने में भी उम्मीद नहीं थी... -वेद प्रकाश ©VED PRAKASH 73 #सूत्र