दैर , दरगाह मुझे उसकी आँखों में मयस्सर गर होंठ हो मुअज्ज़िन तो फकीरे की अज़ान हो किसी सूफ़ी जख़ीरे की कव्वाली सी उसकी पाकीजगी फिर क्यों न उसके सदके में फकीरे की जान हो! आब - ए - जमजम से दो कुंभ लबालब गर छलक आ गिरे एक भी बूँद तो फकीरे की प्यास तमाम हो किसी हज़ से कम नहीं उनके रुख़ का दीदार फिर क्यों न फकीरी के इतर फकीरे को उनका रूमान हो! दैर- मस्जिद मुअज्जिन- अजान कहने वाला जख़ीरा- समूह आब-ए-जमजम- इस्लाम में पवित्र जल रूमान- प्रेम व आकर्षण #yqurdu #yqbhaijan #yqbaba #yqdidi