Nojoto: Largest Storytelling Platform

दैर , दरगाह मुझे उसकी आँखों में मयस्सर गर हों

दैर , दरगाह  मुझे  उसकी  आँखों  में  मयस्सर
गर होंठ हो मुअज्ज़िन तो फकीरे की अज़ान हो
किसी सूफ़ी जख़ीरे की कव्वाली सी उसकी पाकीजगी
फिर क्यों न उसके सदके में फकीरे की जान हो!

आब - ए - जमजम   से   दो   कुंभ   लबालब
गर छलक आ गिरे एक भी बूँद तो फकीरे की प्यास तमाम हो
किसी  हज़  से  कम  नहीं  उनके  रुख़  का  दीदार
फिर क्यों न फकीरी के इतर फकीरे को उनका रूमान हो! दैर- मस्जिद
मुअज्जिन- अजान कहने वाला
जख़ीरा- समूह
आब-ए-जमजम- इस्लाम में पवित्र जल 
रूमान- प्रेम व आकर्षण

#yqurdu #yqbhaijan 
#yqbaba #yqdidi
दैर , दरगाह  मुझे  उसकी  आँखों  में  मयस्सर
गर होंठ हो मुअज्ज़िन तो फकीरे की अज़ान हो
किसी सूफ़ी जख़ीरे की कव्वाली सी उसकी पाकीजगी
फिर क्यों न उसके सदके में फकीरे की जान हो!

आब - ए - जमजम   से   दो   कुंभ   लबालब
गर छलक आ गिरे एक भी बूँद तो फकीरे की प्यास तमाम हो
किसी  हज़  से  कम  नहीं  उनके  रुख़  का  दीदार
फिर क्यों न फकीरी के इतर फकीरे को उनका रूमान हो! दैर- मस्जिद
मुअज्जिन- अजान कहने वाला
जख़ीरा- समूह
आब-ए-जमजम- इस्लाम में पवित्र जल 
रूमान- प्रेम व आकर्षण

#yqurdu #yqbhaijan 
#yqbaba #yqdidi