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कितनी नावों में कितनी बार पता नहीं जन्म से मृत्यु

कितनी नावों में कितनी बार
पता नहीं जन्म से
मृत्यु तक
कितनी नावों में कितनी बार
सफर करता है मानव
उत्थान – पतन
देवत्व – दानवत्व
घृणा – श्रद्धा
जय – पराजय
उत्साह – निराशा
प्रणय – विरोध
भोग – योग
शिष्टत्व – अशिष्टत्व
अपना – पराया
गुरुत्व – शिष्यत्व
दूरदर्शिता – अदूरदर्शिता
आदि नावों में
बार-बार चढ़ता है
राज तो यही है एक मात्र
भव ( संसार ) को सागर मानने का
वरण स्पष्ट नहीं होने हो
कितनी नावों में कितनी बार
वह सफर करता रहता है
क्योंकि यह पहेली……
पहेली को भी पहेली सम ( जैसी ) दिखती है.

©Raju ram Kadva
  #City Jodhpur

#City Jodhpur #कविता

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