पलकें झुकाएँ शाम ढले, पलक उठे हो जाये सवेरा, जुल्फों की छाँव है ऐसी जैसे हो घनघोर अंधेरा। नैन कटिले होंठ रसीले वाणी पानी सैला, महक बदन की तेरी ऐसी उपवन कहीं हो फैला । तुझको पाकर जीवन मेरा है खुशियों का मेला, सारी दुनिया यही कहे अब, तू मेरी मै तेरा । - संजू निर्मोही #sanju#nirmohi#shayri#पलकें#झुकायें पलकें झुकायें शाम ढले #Heart