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जो भी था, जैसा भी था मानव निर्मित था प्रकृति निगलत

जो भी था, जैसा भी था
मानव निर्मित था
प्रकृति निगलती नहीं
बारम्बार सचेत करती है
बताती है कि, आज अंतिम है!
मानव विक्षिप्त है
अनेकाधिक संख्यां में
रोटी का कमाल है
यह कमाल इंद्रिय शक्ति से विरक्त है! यह वर्ष समभाव है,,🙏


जो भी था, जैसा भी था...
#जैसाभीथा #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi #विप्रणु #yqdidi #philosophy
जो भी था, जैसा भी था
मानव निर्मित था
प्रकृति निगलती नहीं
बारम्बार सचेत करती है
बताती है कि, आज अंतिम है!
मानव विक्षिप्त है
अनेकाधिक संख्यां में
रोटी का कमाल है
यह कमाल इंद्रिय शक्ति से विरक्त है! यह वर्ष समभाव है,,🙏


जो भी था, जैसा भी था...
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