*नटखट बाबू की मौज* नटखट बाबू रोज़ रसोई में धोया करते थे बर्तन। झाड़ू पोछा लगाते लगाते अंकड़ जाती थी गर्दन।। खाना स्वदिष्ट बनाते थे वे चाय तो लल्लनटाप। धर्मपत्नी के पैरों को भी दबाते थे चुपचाप।। एक बार घर आई पड़ोसन देखा आँखों से यह सब। बोलीं नटखट की पत्नी से बात मेरी सुनों ये अब।। नटखट बाबू आपके ये मेरे पति होते काश। होती मैं खुशकिस्मत बहुत ऐसा मेरा विश्वास।। उस दिन से नटखट बाबू की शुरू हो गई मौज। धर्मपत्नी सब काम स्वयं ही करने लग गईं रोज़।। #हास्य_व्यंग्य #हास्य #laugh #laughter #laughterday #funny #fun प्रस्तुत है हास्य पदक🏅अवधेश के साथ नटखट बाबू की मौज ............................ नटखट बाबू रोज़ रसोई में