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दुनियांँ के हर कोने में रोज न जाने कितनी ही बहू



दुनियांँ के हर कोने में रोज न जाने कितनी 
ही बहू, बेटियों की आबरू लुटती रहती है।
होती हैं बेशर्मी और दरिंदगी की हदें पार
तब होने लगती है सारी इंसानियत शर्मसार।

इंसान बनके करते हैं इंसानियत को दागदार
इंसानियत और रिश्ते भूल दुष्कर्म करते हैं।
जाने कैसे हो जाते हैं इतने दरिंदे कि किसी 
मजबूर, लाचार की आवाज न सुन पाते हैं।

कहीं भी सुरक्षित नहीं है बहू बेटियां हर दम 
ही अनजाने डर के साये में जीती रहती हैं।
शर्मसार इंसानियत को करते जरा सी मौज
मस्ती खातिर इज्जत को कौड़ियों में तौलते।

बलात्कार जैसी घिनौनी घटनाओं पर अंकुश
लगा रोकने के कठोरतम प्रयास करने होंगे।
बलात्कारियों और इंसानियत को दागदार
 करने वालों को सरेआम फांसी चढ़ाना होगा।

बहुत बना लिये कागजी, खोखले, दिखावटी 
खानापूर्ति करने वाले कानून और नियम।
नियमों का सख्ती से हकीकत में पालन कर
नयी निर्भया, प्रियंका बनाने से रोकने होगा। ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_192 

👉 इंसानियत को दाग़दार करना मुहावरे का अर्थ --- इंसानियत के खिलाफ कोई काम करना। 

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) 

♥️ दो लेखकों की रचनाएँ फ़ीचर होंगी।


दुनियांँ के हर कोने में रोज न जाने कितनी 
ही बहू, बेटियों की आबरू लुटती रहती है।
होती हैं बेशर्मी और दरिंदगी की हदें पार
तब होने लगती है सारी इंसानियत शर्मसार।

इंसान बनके करते हैं इंसानियत को दागदार
इंसानियत और रिश्ते भूल दुष्कर्म करते हैं।
जाने कैसे हो जाते हैं इतने दरिंदे कि किसी 
मजबूर, लाचार की आवाज न सुन पाते हैं।

कहीं भी सुरक्षित नहीं है बहू बेटियां हर दम 
ही अनजाने डर के साये में जीती रहती हैं।
शर्मसार इंसानियत को करते जरा सी मौज
मस्ती खातिर इज्जत को कौड़ियों में तौलते।

बलात्कार जैसी घिनौनी घटनाओं पर अंकुश
लगा रोकने के कठोरतम प्रयास करने होंगे।
बलात्कारियों और इंसानियत को दागदार
 करने वालों को सरेआम फांसी चढ़ाना होगा।

बहुत बना लिये कागजी, खोखले, दिखावटी 
खानापूर्ति करने वाले कानून और नियम।
नियमों का सख्ती से हकीकत में पालन कर
नयी निर्भया, प्रियंका बनाने से रोकने होगा। ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_192 

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