मेरी ख़ामोशी सुन लो कभी-कभी आओ महफ़िल में, कुछ अपना हाल बयां कर दो, मिलने से थोड़े फ़ासले घटेंगे, आओ मेरी ख़ामोशी सुन लो। दर्दे आँखें कुछ कहना चाहती, हो गया दिल दीया की बाती, यादों के कारवाँ से अश्कों बहते, सबकों लगता ख़ुशी की बरसाती। निकल पड़ा इक अंजाने सफर में, कभी लगता फस गया भंवर में, दर्द ए हाले दिल में दफ़न कर, आओ मेरी ख़ामोशी सुन लो। गम वफ़ा रोज़ दीदार करते, क़भी ख़ुशी मेरे नाम करते, उनके मैंने कड़वे जाम पीये, जो नहीं सोचा काम किये हैं। लुटाता प्यार यहाँ कोई नफ़रत, खुश होता पूरी होती हसरत, मैंने खुद की बहुत आवाज सुनी, आओ मेरी ख़ामोशी सुन लो। ✍️लिकेश ठाकुर मेरी ख़ामोशी सुन लो कभी-कभी आओ महफ़िल में, कुछ अपना हाल बयां कर दो, मिलने से थोड़े फ़ासले घटेंगे, आओ मेरी ख़ामोशी सुन लो। दर्दे आँखें कुछ कहना चाहती,