देखो क्या है हालत मेरे हिन्दूस्तान की || किस्मत हमारी लटक रही है जैसे पाव में पायल , भारत माँ विलख रही है जैसे दीन-दुखी घायल , जिस आँचल में पले- बढे उसमे बम- गोले फुट रहे है , एक सिरे से खुद बेटा दूसरे से दुश्मन लूट रहे है , रूह काँप उठता है देखकर हालत वर्तमान की , देखो क्या है हालत विधाता मेरे हिन्दूस्तान की| जहा सोने की चिड़िया रहती वो भारत मेरा बगीचा था , जिसको खुद 'बिस्मिल' ने अपने खुनो से सिंचा था , जिसने भारत माँ की सेवा में कुर्बान किया जवानी को , उसकी अम्मा क्यों तड़प रही आज बून्द-बून्द पानी को , जनता भटक रही है खोज में रास्ता इससे निदान की , देखो क्या है हालत विधाता मेरे हिन्दूस्तान की|| जो कल तक वादा कर रहे थे हम लिखेंगे तक़दीर , वो आज संसद जाते ही हरने लगे संविधान की चिर , जिसको अपना रक्षक समझकर बनाये वजीर , वो आजादी जागीर समझ कर फ़ेंक रहे वीरों की तस्वीर, अखबारों में छप के रह जाती कथा वीरो की वलिदान की, देखो क्या है हालत विधाता मेरे हिन्दूस्तान की|| ©अभिषेक आर्य 9934269560 #deshbhakti_shayri