जरा बैठ मेरे सिरहाने तुमसे कुछ कहना है मुझे। तुझे अपनी आखों का काजल बनाकर, तेरे पलकों का आशु बनना है मुझे। अपनी हर खुशी तुझे दे दूँ , तेरे सभी दुखों को सहना है मुझे। जरा बैठ मेरे सिरहाने तुमसे कुछ कहना है मुझे।। तुझे अपनी होठों की लाली बनाकर, तेरे चेहरे की मुस्कान बनना है मुझे। तुझे अपने रंग में रंग कर, फ़िर उसी रंग में रंगना है मुझे। जरा बैठ मेरे सिरहाने तुमसे कुछ कहना है मुझे।। तेरे साथ कुछ हसीन पल जीकर, तेरी जिन्दगी का प्रत्येक पल बनना है मुझे। तुझे पतंग बनाकर आसमां में उड़ा दूँ, उस पतंग की डोर को थामना है मुझे। जरा बैठ मेरे सिरहाने तुमसे कुछ कहना है मुझे।। तुझे अपने घर का जमाई, खुद को तेरी जीवन्सन्गनी बनाना है मुझे। तुमसे अपने केशों को सवर बाना है, तेरे लिये सुबह की पहली चाय लाना है मुझे। जरा बैठ मेरे सिरहाने तुमसे कुछ कहना ह मुझे।। तुझे मैं आप कह कर बुलाऊ, अपने नाम में तेरा नाम जोरना है मुझे। मैं तेरे बच्चों को माँ का प्यार दूँ, मेरे बच्चों के लिये तेरा पॉकेट खाली करवाना है मुझे। जरा बैठ मेरे सिरहाने तुमसे कुछ कहना है मुझे।। __श्रेयसी तिवारी कुछ कहना है मुझे