आपको कोई बात पसंद नहीं तो साफ़ साफ़ कह दो। जरूरी नहीं आप हर बार गलत हो। तर्क-वितर्क होना चाहिये। परंतु द्वेष में आकर या फिर अहम् को और उंचा स्थापित करने हेतु किसी काम को पूर्णतः स्थापित करना; पूर्णतयः गलत है। अहम् एवं क्रोध मे लिये गये फैसले, हमे भविष्य में बहुत हानियाँ पहुँचाती है। ©Anand Mohan Jha आपको कोई बात पसंद नहीं तो साफ़ साफ़ कह दो। जरूरी नहीं आप हर बार गलत हो। तर्क-वितर्क होना चाहिये। परंतु द्वेष में आकर या फिर अहम् को और उंचा स्थापित करने हेतु किसी काम को पूर्णतः स्थापित करना; पूर्णतयः गलत है। अहम् एवं क्रोध मे लिये गये फैसले, हमे भविष्य में बहुत हानियाँ पहुँचाती है। अपने हित के बारे में सोचना पाप नहीं होता। जगत सत्यं, ब्रम्ह मिथ्या।