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मेरा लक्ष्य खुद में संतुष्ट होना ही जिंदगी का सबस

मेरा लक्ष्य  खुद में संतुष्ट होना ही जिंदगी का सबसे बड़ा लक्ष्य है मेरा... आज मैं सोचता हूँ कि क्या किया है मैंने अभी तक, तो भी संतुष्ट नहीं होता... क्या कर रहा हूँ उससे भी संतुष्ट नहीं हूँ.... पर अब जो करूँगा उसमे संतुष्ट होना चाहता हूँ... अगर कोई खुद से संतुष्ट है तो इससे बड़ा लक्ष्य प्राप्ति जिंदगी में नहीं हो सकता... एक मजदूर दिन भर काम करके 250 रुपये ले जाता है उसमे से खाने का 100 रुपये का समान ले जाता है और 150 रुपये जमा कर लेता है और शाम को पूरा परिवार पेट भरके खाना खाता है साथ और बिना तनाव के अच्छी नींद के साथ सो जाते है तो ये लोग ज्यादा खुश है क्योंकि संतुष्ट है..... एक बिजनेस मैन जिसका टर्न ओवर 1 करोड़ है जिसके पास किसी चीज की कमी नहीं सुकून से खाना नहीं खा पा रहा सोने के लिए भी दवा या दारू की जरूरत पड़ रही कभी संतुष्ट नहीं होगा वो जिंदगी में .... नहीं बनना चाहता में ऐसा ... मैं अपने पैशन के साथ जीना चाहता हूँ, फर्क़ नहीं पड़ता कितना धनवान हूँ, मैं बस उस मजदूर की तरह परिवार के साथ खाना मिल जाए और सुकून के साथ रात में सो पाऊँ........
बस एक ईच्छा और है शायद ही कभी पूरा कर पाऊँ बेचारे और लाचार लोगों की हेल्प करना.... जिन्हें पता नहीं है इस स्वार्थी दुनिया के बारे में ... ये लोग सीधी सीधी जिंदगी जीना चाहते है सब पर विश्वास करना चाहते है, कोई छल कपट नहीं जानते, एक लीक में चलते हैं और हमेशा परेशान ही रहते हैं..... मन में तो उनके इतने विचार आते हैं कि ये कर दूँ वो कर दूँ पर कुछ नहीं कर पाते लाचार हैं कुछ लोगों के छल कपट के सामने....... गलत ना होते हुए भी सजा काटते रहते हैं .. अंदर अंदर आग जलाते रहते हैं और गुलामी करते रहते हैं.... एक समाज की कल्पना इस टाइप की.... नहीं सोच सकते हम....... 
ये सभी लोग आत्मसम्मान से जिंदगी जीना चाहते हैं बहुत संतुष्ट भी होते हैं पर उनकी जिंदगी में जरा सा उतार चढाव आता है नहीं झेल पाते इस समाज को...... या तो जिंदगी निकल जाती है आत्मसम्मान वापस लाने में या हार जाते हैं...........
मेरा लक्ष्य  खुद में संतुष्ट होना ही जिंदगी का सबसे बड़ा लक्ष्य है मेरा... आज मैं सोचता हूँ कि क्या किया है मैंने अभी तक, तो भी संतुष्ट नहीं होता... क्या कर रहा हूँ उससे भी संतुष्ट नहीं हूँ.... पर अब जो करूँगा उसमे संतुष्ट होना चाहता हूँ... अगर कोई खुद से संतुष्ट है तो इससे बड़ा लक्ष्य प्राप्ति जिंदगी में नहीं हो सकता... एक मजदूर दिन भर काम करके 250 रुपये ले जाता है उसमे से खाने का 100 रुपये का समान ले जाता है और 150 रुपये जमा कर लेता है और शाम को पूरा परिवार पेट भरके खाना खाता है साथ और बिना तनाव के अच्छी नींद के साथ सो जाते है तो ये लोग ज्यादा खुश है क्योंकि संतुष्ट है..... एक बिजनेस मैन जिसका टर्न ओवर 1 करोड़ है जिसके पास किसी चीज की कमी नहीं सुकून से खाना नहीं खा पा रहा सोने के लिए भी दवा या दारू की जरूरत पड़ रही कभी संतुष्ट नहीं होगा वो जिंदगी में .... नहीं बनना चाहता में ऐसा ... मैं अपने पैशन के साथ जीना चाहता हूँ, फर्क़ नहीं पड़ता कितना धनवान हूँ, मैं बस उस मजदूर की तरह परिवार के साथ खाना मिल जाए और सुकून के साथ रात में सो पाऊँ........
बस एक ईच्छा और है शायद ही कभी पूरा कर पाऊँ बेचारे और लाचार लोगों की हेल्प करना.... जिन्हें पता नहीं है इस स्वार्थी दुनिया के बारे में ... ये लोग सीधी सीधी जिंदगी जीना चाहते है सब पर विश्वास करना चाहते है, कोई छल कपट नहीं जानते, एक लीक में चलते हैं और हमेशा परेशान ही रहते हैं..... मन में तो उनके इतने विचार आते हैं कि ये कर दूँ वो कर दूँ पर कुछ नहीं कर पाते लाचार हैं कुछ लोगों के छल कपट के सामने....... गलत ना होते हुए भी सजा काटते रहते हैं .. अंदर अंदर आग जलाते रहते हैं और गुलामी करते रहते हैं.... एक समाज की कल्पना इस टाइप की.... नहीं सोच सकते हम....... 
ये सभी लोग आत्मसम्मान से जिंदगी जीना चाहते हैं बहुत संतुष्ट भी होते हैं पर उनकी जिंदगी में जरा सा उतार चढाव आता है नहीं झेल पाते इस समाज को...... या तो जिंदगी निकल जाती है आत्मसम्मान वापस लाने में या हार जाते हैं...........

खुद में संतुष्ट होना ही जिंदगी का सबसे बड़ा लक्ष्य है मेरा... आज मैं सोचता हूँ कि क्या किया है मैंने अभी तक, तो भी संतुष्ट नहीं होता... क्या कर रहा हूँ उससे भी संतुष्ट नहीं हूँ.... पर अब जो करूँगा उसमे संतुष्ट होना चाहता हूँ... अगर कोई खुद से संतुष्ट है तो इससे बड़ा लक्ष्य प्राप्ति जिंदगी में नहीं हो सकता... एक मजदूर दिन भर काम करके 250 रुपये ले जाता है उसमे से खाने का 100 रुपये का समान ले जाता है और 150 रुपये जमा कर लेता है और शाम को पूरा परिवार पेट भरके खाना खाता है साथ और बिना तनाव के अच्छी नींद के साथ सो जाते है तो ये लोग ज्यादा खुश है क्योंकि संतुष्ट है..... एक बिजनेस मैन जिसका टर्न ओवर 1 करोड़ है जिसके पास किसी चीज की कमी नहीं सुकून से खाना नहीं खा पा रहा सोने के लिए भी दवा या दारू की जरूरत पड़ रही कभी संतुष्ट नहीं होगा वो जिंदगी में .... नहीं बनना चाहता में ऐसा ... मैं अपने पैशन के साथ जीना चाहता हूँ, फर्क़ नहीं पड़ता कितना धनवान हूँ, मैं बस उस मजदूर की तरह परिवार के साथ खाना मिल जाए और सुकून के साथ रात में सो पाऊँ........ बस एक ईच्छा और है शायद ही कभी पूरा कर पाऊँ बेचारे और लाचार लोगों की हेल्प करना.... जिन्हें पता नहीं है इस स्वार्थी दुनिया के बारे में ... ये लोग सीधी सीधी जिंदगी जीना चाहते है सब पर विश्वास करना चाहते है, कोई छल कपट नहीं जानते, एक लीक में चलते हैं और हमेशा परेशान ही रहते हैं..... मन में तो उनके इतने विचार आते हैं कि ये कर दूँ वो कर दूँ पर कुछ नहीं कर पाते लाचार हैं कुछ लोगों के छल कपट के सामने....... गलत ना होते हुए भी सजा काटते रहते हैं .. अंदर अंदर आग जलाते रहते हैं और गुलामी करते रहते हैं.... एक समाज की कल्पना इस टाइप की.... नहीं सोच सकते हम....... ये सभी लोग आत्मसम्मान से जिंदगी जीना चाहते हैं बहुत संतुष्ट भी होते हैं पर उनकी जिंदगी में जरा सा उतार चढाव आता है नहीं झेल पाते इस समाज को...... या तो जिंदगी निकल जाती है आत्मसम्मान वापस लाने में या हार जाते हैं...........