मन की गांठ खोल कर रहम कर खुद पर जाने दे उस सोच को जो दर्द दे शरीर को ख्वाब ही तो था अकेला भी तो नहीं था एक जो पूरा नहीं हुआ दूसरे ने हाथ थाम लिया तिसरा दिमाग में बैठा है समय का जवाब है जो पेट मेरा भर दे वो दौलत यही तो दे और भी है कमाने के लिए अलग हालत सुलझाने के लिए अगर यहीं रुक जाए हम ना बचेगा श्रम ना रुकेगा ये भ्रम शुभरात्रि लेखकों।😊 हमारे #rzhindi पोस्ट पर Collab करें और अपने शब्दों से अपने विचार व्यक्त करें । इस पोस्ट को हाईलाईट और शेयर करना न भूलें!😍 हमारे पिन किये गए पोस्ट को ज़रूर पढ़ें🥳