ये पेड़ ये पौधें और ये हवाएं.. ढूंढ़ेगी मूझको जब मै ना रहुंगा.. पर फिर भी गूंजेगी मेरी बातें गगण में.. मै जाकर भी तूझसे हर रोज़ कुछ कहूंगा.. to be continiued _rahul singh bhardwaj #पेड़#पौधें_और_याद