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आज मै खुद से नाराज़ हूँ, जानती हूँ मै अभी बेज़ुबान

आज मै खुद से नाराज़ हूँ, 
जानती हूँ मै अभी बेज़ुबान हूँ. 
मिलगा समय आवाज उठाने का, 
इस सोच के कारण क्यों स्थिर-उदास हूँ. 

आवाज़ उठाने का हक्क है मुझे जान कर, 
जुबान को रोकलगाने के लोगो द्वारा
बावजूद इसके क्यों ना, 
विरोध का आगाज़ दूँ.
हूँ मैं एक इंसान तो क्यों ना लोगो मे इंसानियत जगा दूँ. हूँ मैं एक इंसान तो क्यों ना लोगो मे इंसानियत जगा दूँ......
आज मै खुद से नाराज़ हूँ, 
जानती हूँ मै अभी बेज़ुबान हूँ. 
मिलगा समय आवाज उठाने का, 
इस सोच के कारण क्यों स्थिर-उदास हूँ. 

आवाज़ उठाने का हक्क है मुझे जान कर, 
जुबान को रोकलगाने के लोगो द्वारा
बावजूद इसके क्यों ना, 
विरोध का आगाज़ दूँ.
हूँ मैं एक इंसान तो क्यों ना लोगो मे इंसानियत जगा दूँ. हूँ मैं एक इंसान तो क्यों ना लोगो मे इंसानियत जगा दूँ......