" बातों के दिवस " कोई डे कोई दिवस, मनाने लायक न रहोगे, यदि मारोगे पर्यावरण को, तो जीवित तुम भी ना रहोगे | यूं ही अगर नोचते रहे, प्रकृति की बोटियों को, तो याद रखो, लाशों को तुम्हारी, काँधे भी ना मिलेंगे। पर्यावरण दिवस का हवाला देने वालों, अगर बातों से पर्यावरण दिवस मनाते रहे, तो बहुत जल्द, तुम्हारे नाम भी, इतिहासों में मिलेंगे | बातों के लच्छो से, यह पर्यावरण नहीं बचेगा, अच्छा होगा, कि तुम प्रकृति को, गोद में उठा लो | नहीं तो इन मूक प्राणियो की चीखें, व्यर्थ नहीं जायेंगी। यही चलता रहा तो, कोई आखिरी दिवस का नाम, अपने लिए भी निकालो | " आज सिर्फ कोरोना है कल कोई और होगा " - उमंग गंगानिया # बातों के दिवस। 💔