क्या मुझे भी कोई समझ पाएगा इस भावना में वो बह रही थी मुझमें भी जान है देखो तो ये एहसास वो ख़ुद सह रही थी कभी फ़ुर्सत से सोचना मेरे बारे में भी एक तुम ही नहीं मैं भी अपनों के लिए मर रही थी...$$!! सुप्रभात। चिड़िया जो स्वतंत्रता का प्रतीक है, प्रकृति की सहभागी है, हमसे कुछ कहती है... #चिड़िया #collab #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #sanjaysheoran #poetry keerti srivastava