पत्नी जो पिया मन न भाए, रूप,गुण और प्रेम की गागर, उसकी निस दिन ही ढह जाए। घूंट प्रेम के पति के मुख से, जो एक पल भी पी न पाए, उसकी अगन कोई जल न बुझाए। हर सुख उसकी तपन बढ़ाए, अमृत भी तृप्ति न दिलाए, जो न पिया आलिंगन पाए। क्या कोई उसकी चित्त सजाए, जो पिया का सानिध्य बसाए, आँखों से बस अश्रु बहाये। रोकर अपनी प्यास बुझाए।। #पिया मन