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पल्लव की डायरी नदियाँ की तरह भटकी में किया अपना कि

पल्लव की डायरी
नदियाँ की तरह भटकी में
किया अपना किरदार
तालाब और नालो को लिख देती
इंतजार था सागर का
अपना पूरा प्यार उड़ेल देती
झीलों जैसी आखों को में
तुच्छ प्यार के ओछे पन में सौप देती
मिलन में प्रेम की लहरें ना उठे
उसको किया अपना हुस्न 
सडन और बदबू के लिये छोड़ देती
                                              प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"
  #Remember इंतजार था सागर का,पूरा प्यार उड़ेल देती
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